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400 रुपये से 162 करोड़ रूपये के टर्नओवर तक: पैंथर ई-रिक्शा के एम.डी. राजीव गुप्ता की बेमिसाल सफलता की कहानी!

Panther E Rickshaw

–  जहां चाह, वहां राह: एक मामूली इंसान से करोड़पति बनने तक का सफर

जब सपनों को उड़ान मिलती है, तो रास्ते खुद-ब-खुद बनते चले जाते हैं। कुछ ऐसी ही मिसाल पेश की है राजीव गुप्ता ने, एक सामान्य परिवार के साधारण युवक से लेकर देश की टॉप-10 ई-रिक्शा ब्रांड ‘पैंथर’ के निर्माता बनने तक का यह सफर न सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि यह हर उस युवा को दिशा देता है जो बड़ी सोच तो रखता है, पर शुरुआत से डरता है।

400 रुपये की नौकरी से शुरू हुआ सपना

राजीव गुप्ता का जन्म एक सामान्य दुकानदार के घर हुआ। संसाधनों और पैसों की कमी थी, लेकिन हौसले में कोई कमी नहीं। उन्होंने 12वीं तक की पढ़ाई के दौरान पार्ट टाइम नौकरी कर घर की मदद की और मात्र 400 रूपये प्रतिमाह की सेल्समैन की नौकरी से अपने करियर की शुरुआत की।

50 हज़ार के लोन से शुरुआत

एक दिन उनके जीवन में ऐसा मोड़ आया, जिसने सब कुछ बदल दिया। राजीव गुप्ता जिनके यहां सेल्समैन की नौकरी करते थे, उनके भाई एक फाइनेंस कंपनी चलाते थे। राजीव गुप्ता की मेहनत और ईमानदारी देखकर उन्होंने 50 हजार रूपये का लोन दिलाया। इससे उन्होंने 2001 में ट्रांसफॉर्मर पार्ट्स की ट्रेडिंग शुरू की। यह काम तो चल पड़ा, लेकिन दिल में कुछ और बड़ा करने का सपना था।

15 ई-रिक्शा से शुरुआत, पैंथर ब्रांड की नींव

2013 में उन्होंने दिल्ली में पहली बार ई-रिक्शा देखा और उसमें भविष्य की संभावना को पहचाना। उन्होंने 15 लाख का कर्ज लेकर 15 मजबूत और भरोसेमंद ई-रिक्शा बनाए, जो कुछ ही दिनों में बिक गए। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

मेक इन इंडिया का सशक्त उदाहरण

आज पैंथर ई-रिक्शा लगभग 95 प्रतिशत से भी अधिक भारतीय पुर्जों से बनता है और इस साल के आखिर तक इसे शत प्रतिशत स्वदेशी बनाने का लक्ष्य है। यह सिर्फ व्यापार नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ता कदम है।

100+ डीलर नेटवर्क, 10+ राज्यों में उपस्थिति

पैंथर के पास देशभर में 100 से ज्यादा डीलर हैं और यह कंपनी 10 से अधिक राज्यों में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करवा चुकी है। अगला लक्ष्य पूरे देश को पैंथर की रफ्तार से जोड़ना है।

अवार्ड्स और अगली मंज़िल

2019 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार द्वारा Emerging Brand Award से सम्मानित राजीव गुप्ता अब 200 करोड़ का टर्नओवर और इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बाजार में उतारने की योजना पर काम कर रहे हैं।

पैंथर की तरह सोचो, दौड़ो और रुको मतः राजीव गुप्ता

राजीव गुप्ता की कहानी बताती है कि बड़ी शुरुआत जरूरी नहीं, बड़ी सोच जरूरी है। सही समय की पहचान, मेहनत और धैर्य से हर लक्ष्य संभव है। वे कहते हैं, सही समय कभी बताकर नहीं आता, उसकी पहचान हमें खुद करनी होती है। अगर आप आज से शुरूआत नहीं करेंगे, तो कल भी वहीं खड़े होंगे जहां आज हैं। इसीलिए पैंथर की तरह सोचो, दौड़ो और अपनी सफलता की रफ्तार खुद तय करो।

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