यूपी पुलिस की महिला सिपाही अंजली सिंहा काल्पनिक नाम ने पुरुष बनने यानी जेंडर चेंज करने के लिए आवेदन किया है. गोरखपुर पुलिस ऑफिस में महिला सिपाही का आवेदन आने के बाद उसे पुलिस हेडक्वार्टर भेजा गया जहां पर उसे बुलाकर पूछताछ की गई है.
महिला सिपाही ने बताया कि उसे जेंडर डिस्फोरिया है, जिसका सर्टिफिकेट भी आवेदन में लगाया है। फिलहाल अभी इस मामले में गोरखपुर पुलिस ऑफिस और लखनऊ मुख्यालय स्तर से कोई डिसीजन नहीं लिया गया है। ऐसे में महिला सिपाही जेंडर चेंज कराने के लिए परमिशन मिलने का इंतजार कर रही है।
एलआईयू में तैनात हैं महिला सिपाही
महिला सिपाही की यूपीपी में जॉब 2019 में लगी। उनकी पहली तैनाती गोरखपुर एलआईयू में हुई। यहां एलआईयू दफ्तर में ही वह काम करती है। महिला सिपाही ने जेंडर चेंज करने के लिए फरवरी 2023 से दौड़-भाग शुरू की। इसके बाद से वह गोरखपुर में एसएसपी, एडीजी फिर मुख्यालय तक जा चुकी हैं।
महिला सिपाही ने बताया, पढ़ाई के दौरान ही उनका हारमोन चेंज होने लगा, लेकिन अब उसे पहचान देने के लिए दौड़-भाग कर रही हैं। सबसे पहले उन्होंने दिल्ली में एक डॉक्टर से अपनी काउंसिलिंग कराई। डॉक्टर ने पाया कि महिला सिपाही को जेंडर डिस्फोरिया है। डॉक्टर की रिपोर्ट को आधार बनाकर उन्होंने जेंडर चेंज करने की परमिशन मांगी है।
पल्सर से चलती है महिला सिपाही
महिला सिपाही को देखकर आप हैरान हो जाएंगे। नाम के अनुरूप उनका चेहरा और हाव-भाव बिल्कुल अलग है। उन्हें देखकर कोई भी यकीन से कह सकता है कि वह पुरुष हैं। वह डेली पल्सर बाइक से पैंट शर्ट पहनकर ऑफिस आती हैं। इसके अलावा वह बुलेट भी चलाती हैं।
स्कर्ट पहनना लगता था अटपटा
महिला सिपाही ने बताया, वह जब स्कूल जाती थीं, तब उन्हें स्कर्ट पहनना या फिर गल्र्स की तरह अन्य कोई भी काम करना अटपटा लगता था। स्कूल में उनकी चाल ढाल की वजह से उन्हें कई लोग लड़का कहकर भी बुलाते थे। जो उन्हें अच्छा लगता था। शुरू से ही उन्होंने खुद को कभी लड़की की तरह स्वीकार नहीं किया। क्रिकेट खेलना है पसंद महिला सिपाही बताती हैं कि अक्सर स्कूल में खेलकूद होता था। तब उनकी क्लास में पढऩे वाली लड़कियां खो-खो या फिर अन्य लड़कियों के गेम खेलने के लिए कहती थीं। तब वह अकेली लड़की होती थी जो क्रिकेट खेलने की जिद करती थीं। वह क्रिकेट में अच्छी बैटिंग भी करती हैं।
हाईकोर्ट के डिसीजन से जागी उम्मीद
महिला सिपाही ने बताया, उनकी तरह ही गोण्डा में तैनात महिला कांस्टेबल नेहा ने भी लिंग परिवर्तन कराने के लिए हाईकोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया है। नेहा की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि लिंग परिवर्तन कराना संवैधानिक अधिकार है। अगर आधुनिक समाज में किसी व्यक्ति को अपनी पहचान बदलने के इस अधिकार से वंचित करते हैं या स्वीकार नहीं करते हैं तो हम सिर्फ लिंग पहचान विकार सिंड्रोम को प्रोत्साहित करेंगे। हाईकोर्ट ने यूपी डीजीपी को महिला कांस्टेबल के आवेदन को निस्तारित करने का निर्देश दिया है। इस डिसीजन से एलआईयू में तैनात महिला सिपाही के अंदर भी एक उम्मीद की किरण जागी है।पुलिस विभाग में 4 मामले सूत्रों की मानें तो गोरखपुर की महिला सिपाही की तरह ही अब तक उत्तर प्रदेश पुलिस विभाग में चार मामले जेंडर चेंज कराने के आ चुके हैं। जिसमे दो मामले गोरखपुर जोन के हैं। जिस पर अभी तक कोई ठोस डिसीजन नहीं लिया गया है। महिला सिपाही ने जेंडर चेंज करवाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया है। इस पर कोई डिसीजन यहां से नहीं लिया जा सकता है। शासन स्तर पर प्रार्थना पत्र भेजा गया है। वहां से ही इस पर कोई डिसीजन लिया जाएगा।कृष्ण कुमार बिश्नोई, एसपी सिटी
जेंडर डिस्फोरिया से पीडि़तों की जेनेटिक काउंसिलिंग होनी चाहिए। ऐसे लोग जिस जेंडर की चाह रखते हैं, उनका हार्मोन उसी तरफ कनवर्ट हो जाता है। अपनी जो ओरिजनल जेंडर है उसके अनुरूप वो काम भी नहीं कर पाते हैं। अगर 7 से 12 साल की उम्र में जब हार्मोन प्रोडक्शन शुरू होता है। उसी समय अगर जेनेटिक काउंसिलिंग हो जाए तो काफी मदद मिल सकती है। लेकिन टीनेज के बाद इसका उपाय संभव नहीं है। ऐसे में व्यक्ति जिस जेंडर के रूप में खुद को देख रहा है, तो उसी रूप में समाज में भी उनको रहने, काम करने की स्वीकृति मिलनी चाहिए।डॉ। आकृति पाण्डेय, साइकेट्रिस्ट