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हिन्दू भाइयों ने मन्दिर परिसर में की मुस्लिम समाज के लिए रोज़ा इफ़्तार व नमाज़ की व्यवस्था

नई दिल्ली

गुजरात के एक छोटे-से गांव के बड़े दिल वाले लोगों ने गंगा-जमुनी तहज़ीब की एक ऐसी मिसाल पेश की है जिसे जानकर हर कोई इस गांव के लोगो के बीच साम्प्रदायिक सौहार्द और आपसी भाईचारे की तारीफ़ कर रहा है,इस वक्त एक तरफ जहां हिन्दू सस्कृति से जुड़े लोगों ने शक्ति की आराध्य देवी के नौ स्वरुपों के पर्व नवरात्रि को धूमधाम से मनाया है,तो वहीं मुस्लिम समाज रमजान के पवित्र महीने में रोजे रखकर और Ayatul Kursi का वजीफा करके अपने रब की इबादत कर रहा है।

शायद ऐसा पहली बार हुआ है, जब मुस्लिम समाज के भाइयों के लिए मग़रिब की नमाज़ पढ़ने और उनका रोज़ा खोलने के लिए एक प्राचीन मंदिर के दरवाज़े खोल दिए गए हों.यही नहीं मंदिर के संचालकों ने सौ से ज्यादा रोजेदारों के लिए खाने-पीने का सारा इंतज़ाम भी अपनी तरफ से ही किया, ताकि रोजा खोलने के वक़्त उन्हें किसी चीज़ की कमी न हो.इस दौरान हिन्दू भाइयों की तरफ़ से रोजेदारों के लिए कई प्रकार के फल, खजूर और शरबत का इंतज़ाम किया गया।

एबीपी न्यूज़ की रिपोर्ट के मुताबिक़ गुजरात के दलवाड़ा जिले के बनासकांठा में एक छोटा सा गांव है हदियोल.यहां 1200 साल पुराना वरदावीर महाराज का मंदिर है।इस गांव में मुस्लिमों की आबादी तकरीबन 15 फीसदी है लेकिन 85 फीसदी हिंदुओं के साथ उनका भाईचारा ऐसा है जो आज अपने-आप मे मिसाल क़ायम कर रहा है।

बीते शुक्रवार को मंदिर के संचालकों ने तय किया कि गांव में रहने वाले मुस्लिम परिवार मंदिर परिसर में आकर ही शाम की नमाज़ पढ़ेंगे और उसके बाद वहीं पर अपना रोजा भी खोलेंगे.बड़ी बात ये है कि गांव के सरपंच भूपतसिंह हाडिओल ने ही शाम को मंदिर परिसर में Roza Namaz और इफ्तार पार्टी आयोजित करने और सभी मुस्लिम भाइयों को अपना रोजा खोलने के लिए आमंत्रित करने का प्रस्ताव रखा था,जिसे पूरे गांव ने सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया. सरपंच के मुताबिक “हमने आसपास के गांवों के मुस्लिम दोस्तों को भी इसमें आमंत्रित किया और उनमें से कई इसमें शामिल भी हुए।

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