adplus-dvertising

जीत से ज़्यादा खुश और हार से निराश ना हो -पुलेला गोपीचंद

कानपुर।विश्व के जाने-माने बैडमिंटन खिलाड़ी ‘पद्म श्री’ व ‘पद्म भूषण’ अवार्ड से सम्मानित पुलेला गोपीचंद ने कहा कि हार से निराश और जीत मिलने पर ज्यादा खुश ना हो। स्टार शटलर पुलेला गोपीचंद आज यहां ‘द स्पोर्ट्स हब’ में हुए टॉक शो को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे।

टॉक शो में उन्होंने अपनी खेल यात्रा का बखूबी वर्णन किया। पुलेला गोपीचंद ने बताया कि शुरुआत में वह हैदराबाद में क्रिकेट की एकेडमी में एडमिशन लेने गए थे, लेकिन वहां उन्हें एडमिशन नहीं मिल पाया था। वह टेनिस अकैडमी भी गए लेकिन वहां पार्किंग में ढेर सारी कारों को देखकर उनकी हिम्मत नहीं पड़ी कि वह टेनिस के खेल में हाथ आजमाएं। इसके बाद वह बैडमिंटन अकादमी की ओर गए, जहां उन्हें कुछ खिलाड़ी ही खेलते हुए मिले। बस यहीं से उनकी बैडमिंटन यात्रा प्रारंभ हो गई थी।

पुलेला गोपीचंद ने बताया कि उन्होंने यह सोचा भी नहीं था कि उनका बैडमिंटन में उनका कैरियर बनेगा। वह यहां तीन बच्चों के साथ खेला करते थे। उनसे आगे बढ़ने के लिए होड़ में रहते थे। इसके बाद पहले जिला स्तरीय फिर राज्य स्तरीय और फिर कुछ दिनों बाद राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें सफलता मिलने लगी।


उन्होंने बताया कि वह राजीव बग्गा और दीपांकर भट्टाचार्य से प्रेरित रहे हैं। वह कहते हैं कि माता-पिता की प्रेरणा से हुआ दिन पर दिन सफलता की ऊंचाइयों पर बढ़ते चले गए । यह पूछे जाने पर कि बचपन में वह कितनी पढ़ाई करते थे और घरवालों का पढ़ाई के लिए उन पर इतना प्रेशर रहता था। उन्होंने बताया कि सुबह चार से पांच बजे तक जोर-जोर से चिल्लाकर पढ़ाई करते थे। चिल्लाकर इसलिये ताकि उनकी मां सुनती रहे।

इसके बाद उन्हें साढ़े पांच बजे खेलने के लिए जाने की छूट मिलती थी। उन्होंने बताया कि उनके पिता बैंक में ऑफिसर थे। गरीबी तो नहीं थी लेकिन फिजूलखर्ची के लिए एक भी पैसा नहीं था। वह बताते हैं कि हैदराबाद की बिरयानी मशहूर है लेकिन उन्होंने बिरयानी भी नहीं खाई। पुलेला गोपीचंद ने बताया कि ऑल इंग्लैंड में खेलने के लिए जाने के लिए उनकी मां ने अपना मंगलसूत्र तक गिरवी रख दिया था।


देश के जाने माने खेल पत्रकार जी. राजारमन के सवाल पर उन्होंने कहा कि चीन और इंग्लैंड के खिलाड़ियों से हारने पर काफी दुख होता था, काफी तकलीफ होती थी अंग्रेजों ने भारत में 200 साल तक राज किया और जब हम उनसे हारते थे तो एक अलग से पीड़ा होती थी। बस दिल में यही ख्याल रहता था किसी भी तरीके से इन खिलाड़ियों को हराना है। उन्होंने बताया कि उन्हें अच्छे कुछ मिले उन्हें कुछ मिली जुनून जिन्होंने उन्हें ज्यादा यह नहीं बताया कि जिन्होंने उन्हें बैडमिंटन के बारे में ज्यादा नहीं बताया लेकिन उन्होंने बैडमिंटन से प्यार करना जरूर सिखाया।

एक खास बात पुलेला गोपीचंद ने यह बताई कि स्पोर्ट्स और इस स्टडी के साथ बैलेंस बनाना बेहद जरूरी है। खेल के साथ पढ़ाई को भी उतना समय दिया जाए तो सफलता निश्चित है।, फिर उस खिलाड़ी को कोई आगे बढ़ने से रोक नहीं सकता है। इस मौके पर द स्पोटर््स हब के प्रशिक्षु खिलाड़ियों को पुलेला गोपीचंद गुरुकुल एकेडमी की एमडी सुप्रिया देवगन ने प्रमाण पत्र दितरित किये। पुलेला गोपीचंद ने द र्स्पोट्स हब के प्रशिक्षु खिलाड़ियों को बैडमिंटन खेलने के टिप्स दिये। इसके पहले स्पोर्ट्स हब में टॉक शो का शुभारंभ महापौर प्रमिला पांडे ने बतौर मुख्य अतिथि किया । श्री पुलेला गोपीचंद का स्वागत ‘द स्पोर्ट्स हब’ के निदेशक पीयूष अग्रवाल ने और आभार डायरेक्टर ऑपरेशन पीके श्रीवास्तव ने व्यक्त किया । इस मौके पर शहर के गणमान्य नागरिक स्कूल कॉलेजों के प्रधानाचार्य और बड़ी संख्या में खिलाड़ी मौजूद थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *